"मार्मिक अपील — रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं चिकित्सक शिक्षकों के नाम"

मार्मिक अपील — रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं चिकित्सक शिक्षकों के नाम

(डॉ. राकेश बिश्नोई आत्महत्या प्रकरण के संदर्भ में)

प्रिय रेजिडेंट डॉक्टर्स, माननीय चिकित्सक शिक्षकगण और समस्त चिकित्सा समुदाय

हम सभी इस समय एक अत्यंत दुःखद, स्तब्ध कर देने वाली और आत्ममंथन की स्थिति में खड़े हैं। एस.एन. मेडिकल कॉलेज, जोधपुर के फार्माकोलॉजी विभाग में कार्यरत तृतीय वर्ष के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या ने, न केवल चिकित्सा जगत को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि समाज और संस्थागत व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।

यह केवल एक युवा डॉक्टर की जान जाने की घटना नहीं है — यह एक चेतावनी है, एक सवाल है, और सबसे बढ़कर, यह एक करुण पुकार है कि हमें अब रुककर सोचने की, सुनने की और समझने की जरूरत है।

📍 मामले की गंभीरता:

डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के पीछे जिन कारणों का संदेह जताया जा रहा है — वे बेहद गंभीर हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) और राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (RMCTA) द्वारा जारी किए गए पत्रों में बताया गया है कि राकेश ने पहले ही वीडियो साक्ष्य और विवरण साझा किए थे, जिनमें मानसिक उत्पीड़न, तिरस्कार, और अवमानना की बात कही गई थी।

इस प्रकरण ने यह साबित कर दिया कि हमारे संस्थानों में कहीं न कहीं संवाद की कमी, सहानुभूति की अनुपस्थिति और शक्ति-संतुलन का दुरुपयोग हो रहा है।

💔 एक सवाल, हम सबके लिए:

क्या हम अपने छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टर्स को केवल पढ़ा रहे हैं — या उन्हें एक ऐसा वातावरण भी दे रहे हैं जहाँ वे खुलकर साँस ले सकें?

क्या हम उन्हें जीवन जीने की कला सिखा रहे हैं — या केवल थकान, तनाव और प्रतिस्पर्धा का बोझ लाद रहे हैं?

क्या हम उन्हें सुनते हैं? समझते हैं? या सिर्फ आदेश देकर आगे बढ़ जाते हैं?

🙏 शिक्षकों से अपील:

मान्यवर, शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाला नहीं होता — वह एक संरक्षक होता है, एक मार्गदर्शक, और किसी हद तक एक अभिभावक भी।

हर रेजिडेंट डॉक्टर एक इंसान है, उसकी अपनी सीमाएँ, संघर्ष और भावनाएँ हैं।

शिक्षण केवल कठोरता से नहीं, करुणा और संवाद से प्रभावी होता है।

कृपया अपने छात्रों से संवाद कीजिए, उन्हें सुनी जाने वाली जगह दीजिए।

एक सरल मुस्कान, एक प्रोत्साहन, एक "मैं समझता हूँ" — कई बार जीवन बचा लेते हैं।

💬 रेजिडेंट डॉक्टर्स से निवेदन:

प्रिय साथियों, हम समझते हैं कि आपकी जिम्मेदारियाँ कठिन हैं, आपकी ड्यूटी लम्बी है, और कई बार हालात अन्यायपूर्ण लगते हैं। परंतु याद रखिए:

आप अकेले नहीं हैं।

जब भी मानसिक दबाव असहनीय लगे — मदद माँगिए।

अपने सीनियर्स, दोस्तों, मनोवैज्ञानिकों या संगठन से संपर्क कीजिए।

आत्महत्या कोई समाधान नहीं — यह केवल दर्द का स्थानांतरण है।

आपका जीवन अनमोल है। आपकी मेहनत, आपका संघर्ष — देश की नींव है।

🧩 संस्थान और सरकार से अनुरोध:

इस प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

यदि कोई भी व्यक्ति दोषी पाया जाए — चाहे वह किसी भी पद पर हो — उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।

मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता केंद्र (Mental Health Support Cells) अनिवार्य रूप से सक्रिय हों।

एक सम्मानजनक, संवादात्मक और सुरक्षित अकादमिक वातावरण सुनिश्चित किया जाए।

🌼 डॉ. राकेश को श्रद्धांजलि नहीं, संकल्प चाहिए:

डॉ. राकेश अब हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी चुप्पी एक बहुत बड़ी आवाज बन चुकी है।
उनकी मृत्यु हमें झकझोरती है, हमें बदलने की माँग करती है।

हम अपने रेजिडेंट्स के साथ सिर्फ काम नहीं, एक मानवतापूर्ण संबंध जोड़ें।

हम अपने शिक्षकों से केवल निर्देश नहीं, समझदारी और सहानुभूति की अपेक्षा करें।

हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएं जहाँ डॉक्टर डॉक्टर का संबल हो, शोषण नहीं।

🕊️ अब भी देर नहीं हुई है। बदलाव आज से शुरू करें। संवाद करें। सहानुभूति रखें। और सबसे ज़रूरी — एक-दूसरे को इंसान समझें।

"एक डॉक्टर की मौत, केवल एक आंकड़ा नहीं — एक व्यवस्था की हार होती है।"

सादर,
आपका साथी
एक संवेदनशील डॉक्टर